पर्व है पुरुषार्थ का, दीप के दिव्यार्थ का; देहरी पर दीप जगमग एक जलता रहे; अंधकार से निरंतर युद्ध यह चलता रहे; हारेगी हर बार अंधियारे की घोर – कालिमा; जीतेगी जगमग उजियारे की स्वर्ण – लालिमा; झिलमिल रोशनी में निवेदित दिवाली की शुभकामना।

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